दो आत्माएं संवाद करती हुई। ट्विन सोल्स का एक दिलचस्प संवाद।
सबसे पहले हम आपको यह बता दे कि ट्विनसोल्स क्या होते हैं ?
दोस्तों, ट्विन सोल ऐसे दो व्यक्ति है जिनके शरीरो में ईश्वर द्वारा एक ही आत्मा को बाँट दिया जाता है । वो एक दूसरे के पूरक होते है और वो एक दूसरे के साथ ही पूरे होते है। एक साथ मिलकर ये शिव शक्ति ऊर्जावान होते है । यानि साक्षात् ईश्वर का स्वरुप। इन दोनों का नाम एक साथ लेकर किसी भी कारज को पूरा किया जा सकता हैँ। इन उर्जाओ का धरती पर जन्म लेने का मकसद बहोत ही असाधारण और खास होता है, यानि जगकल्याण। आज ये दोनों आत्माएं ब्रह्मांड मेँ कहीं विचरण कर रही हैँ। इन आत्माओ को मेरा सत सत नमन ।
तो आइये बढ़ते हैं उनके संवाद की ओर
।
तो उन दोनों का संवाद कुछ इस तरह था ।
बंशीराम द्धिवेदी –
आप कृष्णा मैं राधा,
आप पूरे मैं आधा।।
स्वप्नलता चौरसिया –
तुम कहते हो
तू आधा, पूरी हूँ मैं,
पर ये कौन बताये कि
तुम बिन अधूरी हूँ मैं,
दिल कहता हैं, क़यामत होने ही दो,
दिल मेरा रूहानी पहले भी था, अब क़यामते रूहानी कहलायेगा।।
प्रिय बंसीराम,♥️
तो, *पी* की गली मैं घूमी इतनी,
के,उनकी गली के *दीदार* किये!
दरस ना हुए तो बस, *पिया* के,
और हम *इश्क़* में बीमार हुए!
बरसो बरसो *घूमर* काटे,
उनके ही *चौराहे* के!
जब तक उनके *दिल* तक पहोचे,
वो और हम थे किसी और की *बाहों* में!
के, रैना बरसे, मेरे *नैना* भी बरसे!
और आगे बस अब क्या कहूँ,
हम तो बस *इंतज़ार* में तरसे!
फिर एक दिन *कुदरत* हुई यूँ रूहानी सी,
उस दिन बनी थी इक नयी *कहानी* सी,
कहते हैं *वक़्त* वापिस आता नहीं,
पर इश्क़ का *असर* हैं के जाता नहीं!
खींच कर लाया ये *प्यार*,
वक़्त की वो भारी *दीवार*,
कभी *फांद* कर कभी *कूद* कर,
पार कर ही ली वो पिछले छूटे वक़्त की *दीवार*!
जमाना कहता हैं, *वक़्त* वापिस आता नहीं ,
हम कहते हैं कि आशिको का *वक़्त* जाता ही नहीं !
गुजरे हुए लम्हो को हम आज भी *सीं* रहें हैं,
एक वो और एक हम हैं,
जो इक- इक लम्हे में *बरसो* को जी रहें हैं!
सप्रेम
आपकी स्वप्नलता ♥️
यदि आप हमसे जुड़ना चाहते है तो आप www.swatisaini.com पर विजिट कर सकते है!
फ्री वेदिक कार्ड रीडिंग और प्रेडिक्शयंस के लिए भी आप हमारी वेबसाइट www.cardastrology.com पर विजिट कर सकते है!
Pingback: deep sleep
Pingback: jazz coffee
Pingback: soothing relaxation